BY DIVAKAR KUMAR PANDAY
एक आदिवासी महिला ने किया अपने सपनों को साकार, बनी देश की पहली IAS अधिकारी
हमारे भीतर एक ऐसी शक्ति छुपी है जो हमें हमारी मंज़िल तक पहुंचती है और उस शक्ति को हम जूनून, दृढ़ निश्चय, आत्मबल आदि विभिन्न नामों से जानते है। यही वो शक्ति है जिसके बल पर समाज का हर व्यक्ति, चाहे वो किसी भी तबके का हो, किसी भी जाति या समूह का हो, अपने किसी भी सपने को साकार कर सकता है। केरल के वायनाड जिले के एक छोटे से गाँव की श्रीधन्या सुरेश ऐसे ही जूनून की मिसाल हैं जिन्होंने पिछड़ी जाति की एक बेहद ग़रीब परिवार में पलते बढ़ते जीवन की उन बुलंदियों को छू लिया है जिसका लोग स्वप्न भी नहीं देख पाते। वे देश की पहली ऐसी आदिवासी जनजाति महिला हैं जिन्होंने साल 2019 में सिविल सर्विसेज की परीक्षा उत्तीर्ण कर IAS अधिकारी बनीं है।
श्रीधन्या केरल राज्य की कुरीचिया जनजाति समूह की हैं। अपने परिवार की ग़रीबी का चित्रण करती हुयी वे बताती हैं की उनके घर की छत हर बरसात में टपकती थी और कई बार तो बाढ़ में इनकी किताबें भी बह गयीं। वे हमेशा स्कूल पैदल ही गयीं, उनके पास स्कूल की यूनिफार्म भी एक ही जोड़ी थी। सिविल सर्विसेज की प्रारंभिक परीक्षा तक तो इनके पास कंप्यूटर तक भी नहीं था। इतनी विषम परिस्थितियों में भी रहकर श्रीधन्या ने अपने परिवार का नाम रौशन किया। आज इनकी सफलता आत्मविश्वास की एक अनोखी मिसाल बन गयी है।
श्रीधन्या देश के साथ-साथ अपने समाज के उत्थान के लिए अपना सक्रीय योगदान देना चाहती हैं।..
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