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Showing posts with the label Motivation.

ग़रीब बच्चों की शिक्षा के लिए मुंबई की लोकल ट्रेनों में भीख मांगता प्रोफेसर

                BY   MY COLLEGE NOTIFIER अपनी ज़िन्दगी को जीने के कई तरीके होते हैं लेकिन अगर हम किसी के चेहरे पर मुस्कराहट ला सकें तो शायद ये हमारे ज़िन्दगी की सबसे बड़ी सफलता होगी। मुंबई के प्रोफेसर संदीप देसाई कुछ ऐसे ही प्रयास में जुटे हैं जहाँ वे हज़ारों ग़रीब बच्चों को शिक्षित कर उनके चेहरों पर मुस्कराहट ला रहे हैं जिसके लिए वे लोकल ट्रेनों में भीख मांग कर पैसे इकठ्ठा करते हैं। लोगों से मिली इस सहायता से प्रो संदीप पिछले 5-6 सालों में आज करीब एक करोड़ रुपये इकठ्ठा कर चुके हैं और मुंबई और राजस्थान में करीब 500 बच्चों की मुफ्त शिक्षा का प्रबंध करते हैं। संदीप देसाई पेशे से एक मरीन इंजीनियर थे और बाद में देश के मशहूर मैनेजमेंट कॉलेज SP Jain Institute Of Management के प्रोफेसर बने। लेकिन ग़रीब बच्चों को पढ़ाने के अपने मिशन के लिए उन्होंने अपनी अच्छी खासी नौकरी छोड़ दी। पांच साल पहले जब इन्होंने बच्चों को पढ़ाने का सपना देखा तो पैसों की कमी बहुत बड़ी बाधा बनकर सामने आई। लेकिन बजाय हिम्मत हारने के, ये लोकल ट्रेनों में भीख भी मांगने के लि...

94 साल कि उम्र में शुरु किया बिज़नेस, देश की बड़ी हस्तियां भी कर रही इस महिला की तारीफ

                BY  MY COLLEGE NOTIFIER बुढ़ापा एक ऐसी उम्र होती है जहां पर लोग अपने पोती पोतियों के साथ खेलना और तीर्थ यात्रा जैसी ख़्वाहिशे रखते हैं। क्योंकि समाज की धारणा यही है की बुढ़ापे को राम नाम के साथ बिता देना चाहिए। लेकिन जब दिल में कुछ कर गुजरने का जुनून हो तो आप किसी भी उम्र में कोई भी काम आसानी से कर सकते है। बस जरुरी है तो आपके अंदर से निकलने वाली उस आवाज़ की जो सिर्फ यही कहे “ कि हां मैं यह कर सकता/सकती हूं ” ऐसी ही एक आवाज़ सुनी है चंडीगढ़ की रहने वाली हरभजन कौर ने जिनकी उम्र 94 साल है। आपको जानकर यह हैरानी होगी कि वह इस उम्र में एक एंटरप्रेन्योर बनी है। क्योंकि उनकी अपनी चाहत थी कि वह जिंदगी में कभी अपने द्वारा किये गये काम से कुछ पैसे कमाएं। इसलिए आज वह बेसन की बर्फी और कई तरह के अचार बनाकर अपना बिज़नेस कर रही है।  ऐसे शुरु हुआ सफर एक बार बातों ही बातों में हरभज़न कौर से उनकी बेटी रवीना सूरी ने यह पूछ लिया कि आपको आज भी किस काम का अफसोस होता है कि जो आप जिंदगी में करना चाहती थी लेकिन किसी कारण वश नहीं कर पाई। उन्होंन...

जब कुछ नहीं था तब साथ निभाया और आज हैं Google के CEO की पत्नी

                          BY  MY COLLEGE NOTIFIER ऐसे न जाने कितने रिश्ते हैं, जो सिर्फ इसलिए टूट गए क्योंकि कपल लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप संभाल नहीं सके और कम्यूनिकेशन गैप उनके रिश्ते को खोखला करता चला गया। लेकिन अगर प्यार और विश्वास सच्चा हो, तो ये चीजें भी रिश्ते को कमजोर नहीं कर पाती हैं और इसका उदाहरण सुंदर पिचाई की लव स्टोरी है। सुंदर पिचाई ऐसा नाम है, जिसके बारे में कौन नहीं जानता होगा? गूगल जैसी कंपनी के सीईओ के पद को इस शख्स ने जितनी मेहनत से पाया, उतना ही सैक्रफाइस उनकी पत्नी अजंलि पिचाई ने भी किया है। एक शख्स जिसके पास पहले फोन पर बात करने तक के पैसे नहीं थे, उसके साथ हर मुश्किल में साथ देना और सफलता की वजह बन जाना, ये दिखाता है कि ऐसी लव स्टोरीज सिर्फ फिल्मों में ही नहीं होतीं। साधारण परिवार से आते हैं सुंदर सुंदर पिचाई एक मध्यमवर्गीय परिवार से आते हैं। उनका बचपन ऐसी जगह पर गुजरा, जहां उनके पास न तो टीवी था और ना ही उनके पैरंट्स कार अफोर्ड कर सकते थे। यही वजह है कि आज भी सुंदर के लिए एक-एक चीज वैल्यू रखती ह...

मासूम बेटे की दर्दनाक मौत ने बदल दिया जीवन का उदेश्य

                 BY  MY COLLEGE NOTIFIER कुछ कर गुजरने की चाह हो तो नामुमकिन काम भी मुमकिन सा  लगने लगता है, ऐसी ही एक शख्सियत हैं राजस्थान की रूमा देवी जिन्होंने सिर्फ 8वीं तक पढ़ाई करने के बावजूद भी दुनियाभर में देश का नाम रोशन किया। राजस्थान के छोटे से गांव बाड़मेर की रहने वाली 8वीं पास रूमा देवी का बचपन गरीबी में ही गुज़रा। 5 साल की उम्र में उन्होंने अपनी मां को खो दिया, जिसके बाद उनके पिता ने दूसरी शादी रचा ली और रूमा देवी को अपने चाचा के पास रहना पड़ा। वह लगभग दस किलोमीटर दूर से पानी भरकर बैलगाड़ी से घर तक लाती थीं। परिवार वालों ने घर की आर्थिक स्थिति को देखते हुए उनकी शादी जल्दी ही कर दी, लेकिन ससुराल में भी आर्थिक तंगी से उनका पीछा नहीं छुटा और जैसे - तैसे करके परिवार का गुज़ारा होता रहा। शादी के लगभग डेढ़ साल बाद उन्होंने एक बेटे को जन्म दिया, जिसके बाद उनके परिवार में चारों तरफ खुशी ही खुशी छा गई । लेकिन किस्मत को और कुछ  ही मंज़ूर था और किसी बीमारी से ग्रसित होने की वजह से 48 घंटे के अंदर ही उनके बच्चे ने दम तोड़ दिय...

कभी ठेले पर बेचती थी चाय और समोसे मेहनत ने बनाया करोड़ों की मालकिन

               BY  MY COLLEGE NOTIFIER. कहते हैं कि कोई भी व्यक्ति अपनी मेहनत और संघर्ष से मंज़िल को हासिल कर ही लेता है, एक ऐसी ही शख्सियत हैं तमिलनाडु की पैट्रिशिया नारायण जिन्होंने ज़िन्दगी में कभी हार नहीं मानी और 50 रुपए से तय किया करोड़ों तक का सफर। पैट्रिशिया नारायण का जन्म तमिलनाडु में हुआ था और वो एक साधारण परिवार से ताल्लुक रखती थी। पैट्रिशिया नारायण को कॉलेज में पढ़ाई करने के दौरान उन्हें एक लड़के से प्यार हो गया था, जिसके बाद उन्होंने अपने परिवार के खिलाफ जाकर लव मैरेज कर ली थी। लव मैरिज करने के कारण दोनों के माता-पिता ने उनसे नाता तोड़ लिया था।  कुछ दिन तक पैट्रिशिया नारायण और उनके पति के बीच सब कुछ सही रहा था,लेकिन धीरे - धीरे उनके बीच का प्यार झगड़े में बदल गया। पेट्रीसिया नारायण का पति ड्रग एडिक्ट था और अपनी पत्नी पर अत्याचार करता था। पैट्रिशिया नारायण ने अपने पति के तमाम अत्याचारों को सहती रही और उन्होंने ऐसे में ही दो बच्चों को जन्म दिया था। पैट्रिशिया नारायण के पति का अत्याचार जब हद से ज्यादा बढ़ने लगा तो उन्हें अपने ब...

घूंघट की आड़ में शूटर दादी ने साधा निशाना बॉलीवुड तक बनायी अपनी पहचान

              BY  MY COLLEGE NOTIFIER. 60 साल के बाद जहां लोग आराम करते हैं, वहीं यूपी की शूटर दादी ने अपनी ज़िन्दगी की नई शुरुआत और रूढ़िवादी परंपरा को तोड़ते हुए अपने लिए जीना शुरू किया और अपने  निशानेबाज़ी से देशभर में लहराया । शूटर दादी उत्तर प्रदेश के बागपत से ताल्लुक रखती हैं, उनका जन्म 1 जनवरी 1932 को हुआ था। लगभग 16 साल की उम्र में जौहड़ी के किसान भंवर सिंह से उनकी शादी हो गई थी। जिसके बाद अन्य गृहणियों की तरह उन्होंने भी अपनी ज़िन्दगी को परिवार की देखभाल और घर के काम काज में झोंक दिया। वो रोज़ाना खाना बनाने, बर्तन और कपडे साफ़ करने से लेकर जानवरों की देखभाल जैसी हर काम को पूरी ईमानदारी के साथ करती थी। शुरुआत के दिनों में धीरे - धीरे घर के कामों में वक्त का पहिया घूमता गया और वो मां बन गईं। मां बनने के साथ ही उन पर पहले से भी ज्यादा जिम्मेदारियों  का बोझ आ गया। उन्होंने एक के बाद एक अपने सभी बच्चों की शादी कर दी, इन सब में उनकी उम्र भी ढलती चली गई और वह देखते ही देखते बूढ़ी होती चली गईं। समय के इसी  चक्र में वो बहू से दादी क...

बिहार के अमित दास ने 250 रुपए से तय किया 150 करोड़ तक का सफर

               BY  DIVAKAR KUMAR PANDAY. संसाधन नहीं होने के बावजूद भी अपनी ज़िद और लगन से अपने सपनों को कुछ लोग हासिल कर लेते हैं , ऐसे ही शख्सियत हैं बिहार के अमित कुमार दास जिन्होंने कठिन परिश्रम कर 250 रुपए से 150 करोड़ तक का सफर तय किया।  अमित कुमार दास का जन्म बिहार के अररिया जिले के फारबिसगंज कस्बे के एक किसान के घर में हुआ था। उनके परिवार में लडके ज्यादातर बड़े होकर खेती-बाड़ी ही किया करते थे। लेकिन वो इस परंपरा को आगे नहीं बढ़ाना चाहते थे, वो बचपन से ही इंजीनियर बनने का सपना मन ही मन संजोय रहे थे। लेकिन परिवार की आर्थिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि घर चलाने के साथ ही बेटे की पढ़ाई का खर्च उठा सके। पैसे नहीं होने के बावजूद जैसे - तैसे करके उन्होंने सरकारी स्कूल से स्कूली शिक्षा प्राप्त करने के बाद पटना के एएन कॉलेज से साइंस से इंटर किया। अमित 12वीं करने के बाद समझ नहीं पा रहे थे कि अपने इंजीनियर बनने के सपने को कैसे पूरा करें,लेकिन उन्होंने मन में आगे बढ़ने का निश्चय कर लिया, चाहें कुछ भी हो जाएं अपने सपने को चकनाचूर नहीं होने देंगे। तब...

आँखों की रौशनी ना होने के बावजूद देश का किया नाम रोशन

               BY DIVAKAR KUMAR PANDAY आँखों की रौशनी ना होने के बावजूद देश का किया नाम रोशन अंधेरे में रोशनी की मिसाल जलाए हुए अपने पथ पर जो प्रदर्शित है और जो निरन्तर आगे बढ़ता ही जाता है ऐसे ही शख्सियत को सफलता निशिचित ही प्राप्त होती है। ऐसे ही एक इंसान है उत्तर प्रदेश के अंकुर धामा, जिन्होंने कभी भी अंधेरे को कोहरा अंधेरा नहीं बनने दिया और हमेशा किरण की लौ को जलाकर रखा।   अंकुर धामा का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के गांव खेकड़ा में एक किसान परिवार में हुआ था।  5 साल की आयु में ही उनके साथ दुःखद घटना घटी  जब उनके माता - पिता को उनके नेत्रहीनता के बारे में पता चला तो उन्हें अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ और वो अंदर से टूट गए। निरन्तर डॉक्टरों से इलाज  करवाने के बावजूद जब उन्हें परिस्थिति का पता लग गया की अब उनके बेटे की ज़िन्दगी में रोशनी वापस नहीं लौट सकती, तब उन्होंने अपने कदम को मज़बूत किया और अपने बेटे की ज़िन्दगी का सहारा बने।  अंकुर के पिता ने  उनका  एडमिशन दिल्ली के लोदी रोड स्थित जेपीएम सीनियर...

जानिए 3 फीट की उस लड़की की कहानी जो समाज के ताने खाकर बनी IAS अफसर

                BY   DIVAKAR KUMAR PANDAY. जानिए 3 फीट की उस लड़की की कहानी जो समाज के ताने खाकर बनी IAS अफसर  आपने समाज में कई ऐसे वर्ग भी हैं जो लड़कियों को बोझ मानते हैं और अगर वो शारीरिक रूप से दिव्यांग निकल जाए तो उसको रोष की दृष्टि से देखना शुरु कर देते हैं। ऐसे ही एक लड़की का की कहानी हम आपको बताने जा रहे हैं जो शारीरिक रूप से दिव्यांग होने पर समाज के ताने खाती रही और एक दिन इतनी बड़ी बन गई कि उसने सबके मुंह बंद कर दिए। आज वो राजस्थान के अजमेर की नई जिलाधिकारी के तौर पर नियुक्ति हैं। इनका नाम है आरती डोगरा, जो केवल 3 फीट की हैं। जानिए 3 फीट की उस लड़की की कहानी जो समाज के ताने खाकर बनी IAS अफसर आरती डोगरा आज राजस्थान कैडर की IAS अफसर हैं। आरती का कद भले छोटा है लेकिन आज वो देशभर की महिला IAS के प्रशासनिक वर्ग में मिसाल बनकर उभरी हैं और ये कहना भी गलत नहीं होगा कि उन्होंने समाज में बदलाव के लिए कई मॉडल पेश किए हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी काफी पसंद आए हैं। आरती मूल रूप से उत्तराखंड की रहने वाली हैं। उनका जन्म उत्तराख...

IPS Success Story : पहले IIT और फिर UPSC में सफलता, फिर IPS बने विनय तिवारी के सफलता की कहानी

                  BY  DIVAKAR KUMAR PANDAY. Success Story Of IPS Vinay Tiwari पहले IIT और फिर UPSC में सफलता, फिर IPS बने विनय तिवारी के सफलता की कहानी :  आज हम जिसके बारे में आपको बताने जा रहे हैं उनको पढ़ने का शौक नहीं था। जब पढ़ाई शुरू की तो मजबूरी में की थी। जी हैं, हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले के रहने वाले विनय तिवारी की। एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने अपनी कहानी बताई थी। वो बताते हैं कि मुझे पढ़ाई का शौक नहीं था। आर्थिक सुरक्षा की गारंटी पढ़ाई में दिखी थी। लगता था जैसे निश्चिंत हो जाऊंगा, पर मन की शांति सिर्फ अर्थ से नहीं आती अपितु अर्थ से तो नहीं ही आएगी यह निश्चित है। मजबूरी भी शौक को जन्म देती है। UPSC के दूसरे अटेम्प्ट में बने IPS अफसर ये बात कहने वाले आईपीएस विनय तिवारी (IPS Vinay Tiwari) जिन्होंने पिता के संघर्ष और त्याग से सीख ली और UPSC की परीक्षा पास कर अपने माता-पिता का सपना सच कर दिखाया। विनय तिवारी बताते हैं कि बचपन में वो पढ़ाई से दूर भागते थे, लेकिन किताबों ने ऐसा जादू किया कि पढ़ने का शौक लग गया...

Top 5 Young Entrepreneurs to look out for in 2020 .

      BY  DIVAKAR KUMAR PANDAY. What is the decisive factor that separates generation X from generation Y? The answer would be entrepreneurship, i.e., the idea of turning a solution into a possible business idea. It is this quality of turning a solution into an innovation that differentiates a common man from an entrepreneur. And entrepreneurship seems to be the way to success in the present times. With countless podcasts, YouTube videos, self-help books filling up book shelves, being an entrepreneur has never been this in demand. People are increasingly looking for potential ideas that would transform their idea into an everyday service or a commodity. While the search for the perfect ingredient for being a successful entrepreneur is on, there are quite a few Indians who have already found out the recipe for their success. Most of these entrepreneurs are young and have garnered an impeccable quality of responding remarkably to any adverse situation. These youn...

साइबर कैफ़े में अभ्यास कर बने विश्व के सबसे छोटे CEO

      BY  MY COLLEGE NOTIFIER.  साइबर कैफ़े में अभ्यास कर बने विश्व के सबसे छोटे CEO   अगर किसी व्यक्ति में एक ज्वलंत इच्छा और दृढ विश्वास हो तो उसके लिए दुनियाँ का कोई भी काम मुश्किल नहीं होता । इसकी सबसे बड़ी मिसाल है बंगलुरु, कर्णाटक के सुहास गोपीनाथ की जो की आज विश्व के सबसे छोटे CEO के रूप में विख्यात हैं। सुहास गोपीनाथ बिल गेट्स को ही अपना प्रेरणा स्त्रोत मानते हैं। बचपन से ही इन्हें कंप्यूटर के प्रति गहरी रूचि थी। जिस उम्र में बच्चे खेलकूद में अपना जीवन बिता देते हैं, सुहास गोपीनाथ अपनी एक कंपनी खड़ी करने में सफल हो गए। घर की आर्थिक स्थिति ठीक न होने के कारण सुहास गोपीनाथ ने साइबर कैफ़े में ही अपनी इस रूचि को आगे बढ़ाया। लेकिन रोज़ साइबर कैफ़े के खर्च का वहन करना भी इनके लिए कठिन था। इसलिए सुहास गोपीनाथ ने साइबर कैफ़े के मालिक के साथ समझौता किया की वे लंच टाइम में कस्टमर्स का ध्यान रखेंगे और बदले में ये कंप्यूटर का प्रयोग करेंगे। ये समझौता उनके लिए एक वरदान साबित हुआ। इन्होंने कुछ ही दिनों में वेब डिजाइनिंग में महारत हासिल कर ली ...

गरीबी से लड़कर बनाई अपनी पहचान, कचरे के उपयोग से तैयार किये 600 ड्रोन |

        BY  MY COLLEGE NOTIFIER. गरीबी से लड़कर बनाई अपनी पहचान, कचरे के उपयोग से तैयार किये 600 ड्रोन : भारत में नई सोच और नई तकनीकियों पर खोज करने वाले लोगों की कमी नहीं हैं, ऐसे ही प्रतिभावान है कर्नाटक के NM Pratap जिन्होंने अपनी सूझबूझ और नई तकनीकी से भारत को ड्रोन दिया। यूं तो हमने हमेशा प्रेरणादायक और संघर्षशीलता से भरी कहानियां सुनी हैं। लेकिन NM Pratap ने तकनीकी उन्नति के मार्ग में कई बाधाओं से झुझते हुए कम सुविधा तथा कम पैसे में नये अविष्कार को नया आयाम दिया। NM Pratap का जन्म कर्नाटक के पास एक दूर-दराज गांव कादिकुडी में हुआ। उनके पिता एक किसान थे, जिनकी मासिक आय 2000 रुपये थी। प्रताप बचपन से ही पढ़ने में काफी होशियार थे और उन्हें इलेक्ट्रॉनिक्स से बेहद लगाव था। प्रताप Engineering पढ़ना चाहते थे, लेकिन घर की तंगी की वजह से उनकी पढ़ाई अधूरी रह गई। इसके बाद प्रताप ने जैसे - तैसे बीएससी में एडमिशन लिया। लेकिन हॉस्टल की फीस नहीं भरने के कारण उन्हें हॉस्टल से भी बाहर निकाल दिया गया। इस हालात से मज़बूर होकर प्रताप को बस स्टैंड को ही अपना घर बना...