BY DIVAKAR KUMAR PANDAYआँखों की रौशनी ना होने के बावजूद देश का किया नाम रोशनअंधेरे में रोशनी की मिसाल जलाए हुए अपने पथ पर जो प्रदर्शित है और जो निरन्तर आगे बढ़ता ही जाता है ऐसे ही शख्सियत को सफलता निशिचित ही प्राप्त होती है। ऐसे ही एक इंसान है उत्तर प्रदेश के अंकुर धामा, जिन्होंने कभी भी अंधेरे को कोहरा अंधेरा नहीं बनने दिया और हमेशा किरण की लौ को जलाकर रखा। अंकुर धामा का जन्म उत्तर प्रदेश के जिला बागपत के गांव खेकड़ा में एक किसान परिवार में हुआ था। 5 साल की आयु में ही उनके साथ दुःखद घटना घटी जब उनके माता - पिता को उनके नेत्रहीनता के बारे में पता चला तो उन्हें अपने कानों पर विश्वास नहीं हुआ और वो अंदर से टूट गए। निरन्तर डॉक्टरों से इलाज करवाने के बावजूद जब उन्हें परिस्थिति का पता लग गया की अब उनके बेटे की ज़िन्दगी में रोशनी वापस नहीं लौट सकती, तब उन्होंने अपने कदम को मज़बूत किया और अपने बेटे की ज़िन्दगी का सहारा बने। अंकुर के पिता ने उनका एडमिशन दिल्ली के लोदी रोड स्थित जेपीएम सीनियर सेकेंड्री स्कूल फॉर ब्लाइंड में करवा दिया। ताकि उन्हें अच्छी शिक्षा मिल सके और उन्हें कोई भी हीन भावनाओं से न देखें।स्कूल में एडमिशन के बाद अंकुर ने धीरे - धीरे पढ़ना और चीज़ों को समझना शुरू किया और उन्होंने समझा कैसे एक ब्लाइंड एथलीट खेलते और जीत हासिल करते हैं । तब उन्होंने अपने ब्लाइंड सीनियर के बारे में सुना और आगे बढ़ना शुरू कर दिया,अंकुर ने सोचा अगर उनके सीनियर एथलीट बन सकते हैं तो वह भी कर सकते हैं। उन्होंने अपनी कमज़ोरी को ताक़त बनाकर प्रण लिया कैसे भी करके अपने परिवार का नाम रोशन करना है। इसके बाद अंकुर नेत्रहीन होने के बावजूद भी एथलीट बनने के लिए दिन- रात एक कर दिया, उन्हें सुबह और शाम का पता नहीं चलता था। " अंकुर का मानना है कि बाधाओं पर विजय अवश्य पा सकते हैं , लेकिन पहले खुद के अंदर आत्मविश्वास जगाना होगा और प्रयास करना होगा।स्कूल में पढ़ाई करने के साथ ही अंकुर रोज़ाना दौड़ने की भी प्रैक्टिस करते। लेकिन उनके लिए यह सब करना आसान नहीं था। जब भी वो प्रैक्टिस करने के लिए जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम जाते तो उन्हें चोट भी लग जाती थी। कई बार उन्हें रोड क्रॉस करने में दिक़्क़त होती, वो गिर भी जाया करते , लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और वो मेहनत के साथ आगे की तरफ बढ़ते चले गए। उनके लिए एथलीट बनना बेहद ही कठिन था, लेकिन ज़िन्दगी में नामुमकिन कुछ भी नहीं, यह सोचकर वे आगे बढ़ते रहे। एक साधारण खिलाडी को जीत हासिल करने के लिए जितनी मेहनत करनी होती है, उससे तीन गुनी ज्यादा मेहनत अंकुर धामा को करनी पड़ी। क्योंकि शुरुआत के दिनों में उनकी मदद करने वाला कोई न था और वो खुद ही गिरते और खुद ही उठते .. और ऐसे में वो पहले से मज़बूत बनते चले गए। उनका हौसला रोज़ाना बढ़ता ही चला गया। अंकुर को 5वीं कक्षा में पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर खेलने का मौका मिला, लेकिन उस समय उनकी आयु कम थी। इसलिए वह नेशनल प्रतियोगता में भाग नहीं ले सके। ऐसे में अंकुर काफी ज्यादा उदास रहने लगे, उन्हें लगा जैसे अब दोबारा मौका नहीं मिल पायेगा और उनका हिम्मत भी टूटने लगा था। लेकिन फिर धीरे - धीरे उन्होंने खुद को संभाला और तैयारी में जुट गए। फिर 2009 में अंकुर ने वर्ल्ड यूथ ऐंड स्टूडेंट चैंपियनशिप में भाग लिया और दो गोल्ड मेडल जीते।जब ये बात उनके परिवार को मालूम हुई तो पूरे गांव में खुशी की लहर दौड़ उठी। लेकिन शुरूआती दिनों में अंकुर को कहीं से कोई मदद नहीं मिल पा रही थी, उन्हें समझ नहीं आ रहा था की वो ज़िन्दगी में आगे कैसे बढ़े। लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई... उन्हें द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता कोच सतपाल सिंह का सहारा मिला और वह रियो पैरा ओलंपिक में खेले। इसके बाद अंकुर ने 2014 में एशियन पैरागेम्स में एक सिल्वर और दो कांस्य पदक जीते।नेत्रहीनता कभी भी किसी की ज़िन्दगी में रूकावट नहीं बनती है और कमी की वजह से अपने जीवन में कुछ पाना या नहीं पाना ये सिर्फ इंसान की बनायी हुई मानसिकता है, सच में अगर सोचा जाए तो जहां चाह होती है वहां राह होती है। अंकुर का मानना है कि "कोशिश का दर्जा कामयाबी से ऊंचा होता है, क्योंकि मंजिल बाद में आती है राहे पहले आती है"
BY DIVAKAR KUMAR PANDAY Reliance has finally launched its e-commerce portal JioMart for several cities across India after running a pilot for limited pin codes in Mumbai, a move that is set to change the current positioning of the online grocery delivery service in India which is currently dominated by Bigbasket and Grofers. The service is live across Mumbai, Chennai, Kolkata, Hyderabad, Delhi, Bengaluru, Jaipur, Trivandrum and some tier II cities as well. During the pilot, JioMart was working with a WhatsApp business account. The JioMart website has listed essential grocery items as well as farm produce. The fruits and vegetables will be directly sourced from farmers that have collaborated with the brand. So technically, it would also compete with micro delivery platforms such as Swiggy’s Suprdaily, BBDaily and Milkbasket, and also farm to fork businesses including Ninjacart and Crofarm. The platform ...
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