शुभम की शुरूआती शिक्षा जयपुर, राजस्थान से हुई, लेकिन काम के सिलसिले में उनके पिताजी को महाराष्ट्र में घर लेना पड़ा। तीन भाई-बहनों में शुभम सबसे छोटे थे और उनकी बहन भाग्यश्री का स्कूल उनके घर से काफी दूर था। स्कूल पहुंचने के लिये उन्हें रोज सुबह ट्रेन पकड़नी पड़ती थी। वापस आते शाम के तीन बजते थे। वहीं शुभम के पिता ने महाराष्ट्र के छोटे से गांव दहानू रोड पर रहने लगे और वहीं एक छोटी से दुकान खोल ली। आर्थिक तंगी इतनी थी कि शुभम को लगा कि चूंकि बड़े भाई कृष्णा IIT की तैयारी के लिए घर से दूर हैं तो यह उनकी जिम्मेदारी बनती हैं।
पढ़ाई में काफी अच्छी थे शुभम गुप्ता
शुभम अपने पिता के साथ काम में उनकी मदद करने लगे। शुभम स्कूल से आने के बाद चार बजे तक दुकान पहुंच जाते थे और रात तक वहीं रहते थे और ऐसा होता था कि वो यहीं कुछ समय निकालकर पढ़ाई भी कर लिया करते थे। तब शुभम 8वीं कक्षा में थे। 8वीं कक्षा से 12वीं कक्षा तक यानी पांच साल उन्होंने ऐसे ही अपना जीवन जिया। इसी वजह से न उनको दोस्त बने, न उन्होंने कोई स्पोर्ट खेला, क्योंकि उनके पास इन सब के लिये समय ही नहीं था। शुभम ने अपनी दसवीं की क्लास काफी अच्छे अंको से पास की थी।
M.Com करने के बाद UPSC की तैयारी में लग एक शुभम गुप्ता
Indian Administrative Service इसके बाद शुभम को सबने सलाह दी कि वो साइंस चुनें, लेकिन उन्हें कॉमर्स ही चुना। इसके बाद 12वीं के बाद आगे की पढ़ाई के लिए शुभम दिल्ली आ गए। यहां वे Shriram College Of Commerce में एडमीशन लेना चाहते थे, जो किसी कारण से नहीं हो पाया। इससे शुभम को थोड़ी हताश हुई थी। तब उनके बड़े भाई ने उन्हें समझाया कि जहां एडमीशन मिला है, वहीं अच्छे से पढ़ाई करो और शुभम ने ऐसा ही किया। इसके बाद उन्होंने दिल्ली के एक कॉलेज से B.Com और उसके बाद M.Com पूरा किया। इसके बाद उन्होंने UPSC में जाने का मन बनाया।
साल 2015 में इसके लिए प्रयास किया लेकिन सफलता नहीं मिली
शुभम के मन में IAS Officer बनने की एक दबी इच्छी थी, जिस पर समय आने पर उन्होंने काम करना शुरू किया। उन्हें सफलता भी मिली और आज उसी कॉलेज से उनके लिये सेमिनार में बोलने का न्यौता आया जहां कभी उन्हें एडमीशन नहीं मिल पाया था। शुभम ने सबसे पहली बार साल 2015 में इसके लिए प्रयास किया, लेकिन प्री भी पास नहीं कर पाये। दूसरे प्रयास में शुभम का सेलेक्शन हो गया, लेकिन उन्हें 366 रैंक मिली। इसके तहत मिलने वाले पद से वे संतुष्ट नहीं थे। उन्हें Indian Audit and Account Service में चुना गया था जिसके लिए वो तैयार नहीं थे।
चौथे प्रयास में शुभम न केवल सभी चरणों से सेलेक्ट हुये बल्कि उन्होंने 6वीं रैंक भी हासिल की
Union Public Service Commission इसलिये उन्होंने तीसरी बार साल 2017 में फिर परीक्षा दी, इस साल भी उनका कहीं चयन नहीं हुआ। इतनी बार हार का सामने करने के बावजूद भी शुभम का हौंसला कभी कम नहीं हुआ और उन्होंने दोगुनी मेहनत से तैयारी की। इसी का परिणाम था कि चौथे प्रयास में शुभम न केवल सभी चरणों से सेलेक्ट हुये बल्कि उन्होंने 6वीं रैंक भी हासिल की। शुभम ने अपनी पिछली गलतियों से सबक लिया और हिम्म्त हारने के बजाय डबल जोश के साथ परीक्षा दी। अपनी सालों की मेहनत का फल आखिरकार उन्हें मिला और उनका और उनके पिताजी का सपना साकार हुआ।
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