Success Story of IAS Himanshu Gupta : हिमांशु गुप्ता का बचपन
पढ़ाई के लिए 70 किलोमीटर का सफर तय किया करते थे
वे रोज 70 किलोमीटर का सफर तय करते थे वो भी केवल बेसिक एजुकेशन पाने के लिए। इसके बाद वे पिताजी को चाय के स्टॉल में मदद करते थे। ऐसे में आप खुद ही अंदाजा लगा सकते हैं कि उनको पढ़ाई के लिए कितना वक्त मिलता था, लेकिन हिमांशु दिमाग के तेज थे, वे चीजें जल्दी सीखते थे और उन्हें पढ़ाई में दूसरे स्टूडेंट्स की तुलना में कम समय लगता था। ऐसे ही हिमांशु ने क्लास 12 तक की शिक्षा ली। हिमांशु के पिता ने बाद में जनरल स्टोर की दुकान खोल ली जो आज भी है।
क्लास 12 के बाद पहली बार किसी मेट्रो सिटी में रखा कदम
हिमांशु एक साक्षात्कार में पुराने दिन याद करते हुए बताते हैं कि क्लास 12 के बाद जब वे दिल्ली के हिंदू कॉलेज पहुंचे तो वह पहला मौका था जब उन्होंने किसी मेट्रो सिटी में कदम रखा था। अपने पिता के फोन में रैंडमली इंडिया के अच्छे इंस्टीट्यूट खोजते वक्त उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के बारे में पढ़ा। किस्मत से उनके अंक अच्छे थे और उन्हें एडमिशन मिल गया। यहां आने के बाद से आगे की पढ़ाई करने तक पैसों की समस्या हल करने के लिए हिमांशु ने पढ़ाई के साथ ही बहुत से और काम किए। उन्होंने ट्यूशन पढ़ाए, पेड ब्लॉग्स लिखे और जहां-जहां संभव हुआ स्कॉलरशिप्स हासिल कीं। ऐसे उनकी शिक्षा पूरी हुई।
कुछ बड़ा एचीव करने की क्षमता रखते हैं हिमांशु
ग्रेजुएशन के बाद उन्होंने MSC की और हिमांशु की काबिलियत का पता यहीं से चलता है कि उन्होंने इस दौरान पूरे तीन बार UGC नेट की परीक्षा पास की। यही नहीं गेट परीक्षा में भी सिंग्ल डिजिट रैंक लाये और अपने कॉलेज में टॉप भी किया। इस सबसे हिमांशु का कॉन्फिडेस काफी बढ़ गया और उन्हें लगने लगा कि वे इससे भी बड़ा कुछ एचीव करने की क्षमता रखते हैं। इस बीच उनके पास विदेश जाकर Phd करने के मौके भी आये पर उन्होंने अपने देश और खासतौर पर अपने मां-बाप के पास रहना चुना, जिन्होंने इतनी मेहनत से उन्हें पढ़ाया था। यही वो मौका भी था जब हिमांशु ने बड़ी गंभीरता से सिविल सर्विसेस के बारे में सोचना शुरू किया।
बिना कोचिंग के की UPSC की तैयारी
हिमांशु के कोचिंग न कर पाने के दो कारण थे। एक तो पैसा और दूसरा हमेशा सेल्फ स्टडी करने के कारण केवल सेल्फ स्टडी पर ही भरोसा। जी-जान से तैयारी करके हिमांशु ने परीक्षा दी पर पहले अटेम्पट में बुरी तरह फेल हो गए। उनके लिए यह स्थिति इसलिए भी बहुत खराब थी क्योंकि उन्हें अपने और परिवार के लिए पैसों की बहुत जरूरत थी। हिमांशु ने JRF लिया और MFILL करने लगे। इस फैसले से पैसे तो आ गए पर सिविल सर्विस और रिसर्च के बीच वक्त मैनेज करना बड़ा मुश्किल था।
UPSC Exam में हिमांशु ने 304 रैंक हासिल की
जैसा कि हम जानते ही हैं UPSC की परीक्षा फुल टाइम डिवोशन मांगती है पर हिमांशु के पास कोई ऑप्शन नहीं था। वे भी पीछे हटने वालों में नहीं थे। साल 2019 मार्च में उन्होंने इधर अपनी थीसेस सबमिट करीं और एक महीने बाद अप्रैल साल 2019 में उनका सिविल सर्विसेस का रिजल्ट आ गया। हिमांशु चयनित हो गए। साल 2018 की परीक्षा जिसका रिजल्ट साल 2019 में आया, में उनकी 304 रैंक आयी। हिमांशु और उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा।
छात्रों को हिमांशु की सलाह
Indian Administrative Service अपने अनुभव से हिमांशु कहते हैं कि इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप छोटी जगह से हैं, छोटे स्कूल से पढ़े हैं या आपके मां-बाप की माली हालत क्या है। अगर आपके सपने बड़े हैं तो आप जिंदगी में कहीं भी पहुंच सकते हैं। आपकी जॉब आपको एक से दूसरे कैरियर में ले जाएगी पर आपके सपने आपको कहीं भी ले जा सकते हैं। इसलिए सपने देखें, मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें क्योंकि सपने वाकई सच होते हैं।
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