प्रयागराज की अनन्या सिंह ने 22 साल की उम्र में अपने पहले ही प्रयास में साल 2019 की यूपीएससी परीक्षा में 51वीं रैंक के साथ टॉप किया. अनन्या आज बता रही हैं कि कैसे एक से डेढ़ साल की तैयारी में भी इस परीक्षा को पास किया जा सकता है.
अनन्या हमेशा से थी पढ़ाई में अव्वल –
यूपीएससी परीक्षा निकालने वाले कैंडिडेट्स हर तरह के बैकग्राउंड से आते हैं. कोई एवरेज होता है तो कोई ब्रिलिएंट, कोई बड़े शहर का होता है तो कोई छोटे से गांव का पर यूपीएससी इन बातों के लिए कभी किसी से भेदभाव नहीं करता और पात्र को उसका फल मिलता जरूर है. अगर अनन्या की बात करें तो वे हमेशा से ब्रिलिएंट वाली श्रेणी से आती हैं क्योंकि वे शुरू से पढ़ाई में बहुत अच्छी थी. उनकी स्कूलिंग प्रयागराज के ही सेंट मेरी कांवेंट स्कूल से हुई. वे दसवीं और बारहवीं दोनों में ही सीआईएससीई बोर्ड से डिस्ट्रिक्ट टॉपर रहीं. दसवीं में उनके 96 प्रतिशत और बारहवीं में 98.25 प्रतिशत अंक थे. इसके बाद उन्होंने दिल्ली के श्रीराम कॉलेज ऑफ कॉमर्स से इकोनॉमिक्स ऑनर्स में ग्रेजुएशन किया. यहीं से उन्होंने यूपीएससी की सीरियस प्रिपरेशन भी शुरू कर दी. एक साल अनन्या ने सिर्फ और सिर्फ तैयारी पर फोकस किया जिसमें शुरुआत में 7 से 8 घंटे पढ़ाई की और एक बार बेस मजबूत हो जाने के बाद 6 घंटे फिक्स कर लिए. हालांकि प्री होने के बाद और मेन्स के पहले के समय में उन्होंने खूब मेहनत की.
नहीं थी सफलता की उम्मीद –
दिल्ली नॉलेज ट्रैक को दिए साक्षात्कार में बात करते हुए अनन्या कहती हैं कि मेन्स देने के बाद उन्होंने फिर से आंसर राइटिंग की जमकर प्रैक्टिस करनी शुरू कर दी थी क्योंकि उन्हें लगता था कि इस साल समय कम होने की वजह से वे आंसर राइटिंग पर जितना करना चाहिए था उतना फोकस नहीं कर पायीं. हालांकि इसकी नौबत ही नहीं आयी और पहले ही प्रयास में अनन्या को सफलता मिल गयी. तैयारी की शुरुआत के लिए अनन्या कहती हैं कि सबसे पहले उन्होंने बुक लिस्ट तैयार की और सिलेबस के अनुसार जिन किताबों से पढ़ाई करनी थी उन्हें इकट्ठा किया. बहुत किताबें उन्होंने कंसल्ट नहीं की बल्कि जो थी उन्हें ही बार-बार पढ़ा जिससे तैयारी पक्की हो सके. जहां जरूरत महसूस हुई वहां हैंड नोट्स बनाएं. इससे दो फायदे हुए एक तो ये शॉर्ट और क्रिस्प नोट्स उन्हें तैयारी के एंड में रिवीजन करने में बहुत काम आए और दूसरा लिखने से वे आंसर उनके दिमाग में रजिस्टर होने लगे.
प्री के लिए अनन्या कहती हैं कि किताबों से तैयारी हो जाने के बाद खूब टेस्ट दें, इससे आपको अपनी कमी भी पता चलेगी और टाइम मैनेजमेंट भी सीख पाएंगे जोकि इस परीक्षा के लिए बहुत जरूरी है. वे कहती हैं कि मॉक टेस्ट के समय एक बात का ध्यान रखें कि चीटिंग न करें, जितनी देर की परीक्षा है उतनी देर में जितने प्रश्न कर पाएं उतने करके ही उठ जाएं, एक्स्ट्रा टाइम न लें. जो प्रश्न छूटते हैं, उन्हें छूटने दें (जोकि जरूर होगा) और बाद में अपनी स्पीड बढ़ाने पर काम करें.
टाइम-टेबल बनाकर करें पढ़ाई –
अनन्या आगे बताती हैं कि अपने शेड्यूल को टाइम-टेबल के हिसाब से बांध लें कि हफ्ते में क्या खत्म करना है, महीने में क्या आदि, उसके हिसाब से पढ़ाई करें. उन्होंने शुरू में प्री और मेन्स की तैयारी अलग-अलग नहीं की लेकिन प्री पास आने के बाद कुछ दिनों के लिए मेन्स को किनारे कर दिया. अनन्या बताती हैं कि यूं तो इस परीक्षा के लिए साल भर ही या जितने समय भी आप तैयारी करते हैं लगकर पढ़ाई करनी होती है पर प्री होने और मेन्स के आने के पहले का समय अत्यंत कड़ी मेहनत का होता है. उन्होंने सबसे ज्यादा इस समय पढ़ाई की फिर भी मन मुताबिक आंसर राइटिंग नहीं कर पायीं. इसका उपाय उन्होंने निकाला कि टॉपर्स की कॉपियां पढ़ीं और उन प्रश्नों का उत्तर अपने मन में दिया कि अगर वे उत्तर लिखती तो क्या लिखती और टॉपर ने कैसे लिखा है और जरूरत के मुताबिक खुद के आंसर को इंप्रूव किया. इससे उनका समय बचा. हालांकि वे यही मानती हैं कि समय हो तो आंसर राइटिंग जरूर करनी चाहिए. अपने केस में वे बताती हैं कि कुछ प्रैक्टिस टेस्ट जो वे दे पायी थीं में उन्होंने देखा कि उनका पेपर छूटता जरूर है क्योंकि वे उत्तर सही ढ़ंग से नहीं लिखती और ग्रेजुएशन स्टाइल में पैरा में आंसर देती हैं. अनन्या ने इसे बदला और बुलेट प्वॉइंट्स में जवाब देने लगीं ताकि पेपर छूटे न.
अनन्या की सलाह –
अनन्या पिछले साल के पेपर देखने और रिवीजन करने पर काफी जोर देती हैं. वे कहती हैं पिछले साल के जितने अधिक से अधिक पेपर देख सकें देखें क्योंकि कई बार कुछ विषयों में प्रश्न रिपीट हो जाता है. यह वो गोल्डन ऑपरच्यूनिटी है जो किसी को नहीं छोड़नी चाहिए. अगला जरूरी बिंदु है जमकर रिवीजन करने का. वे कहती हैं तैयारी समय से पूरा करके उसे बार-बार पढ़ें. पूरी तैयारी के दौरान पेपर पढ़ना कभी बंद न करें और साक्षात्कार के पहले तक भी इसे पढ़ते रहें क्योंकि जब आप अपने आसपास हो रही चीजों से अवेयर होते हैं जो आपके आंसर्स में वैल्यु एडिशन हो जाता है. सिलेबस पास रखकर पेपर पढ़ें और केवल काम की चीजों पर फोकस करें. यही बात वे करेंट अफेयर्स के लिए भी मानती हैं कि इनका प्रयोग आपके उत्तर को वजन देता है. कहीं कोई डेटा याद करें तो उससे संबंधित प्रश्न आने पर उसमें वो डेटा डालें ताकि उत्तर अच्छा हो जाए. एक बात का ध्यान और रखें कि अपने उत्तरों में इंट्रो, बॉडी, कॉन्क्लूजन फॉर्मूला लागू करते समय कॉन्क्लूजन हमेशा सॉल्यूशन के साथ दें. समस्या तो हर कोई गिना सकता है पर एक ऑफिसर के तौर पर आपके पास उसका समाधान होना चाहिए. अंत में इतना ही कि टॉपर्स के इंटरव्यू देखें ये भी बहुत मदद करते हैं और यह याद रखें कि एक-डेढ़ साल की तैयारी में यह परीक्षा पास की जा सकती है अगर आप अपनी पूरी जान लगा दें और कंसिसटेंसी का साथ पढ़ाई करें.
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