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अभावों में भी अपने सपनो को रखा ज़िंदा और जीवन में पाया एक ऊँचा मुकाम


              BY  MY COLLEGE NOTIFIER

कई ऐसे भारतीय क्रिकेटर हैं, जिन्होंने अपनी मेहनत और काबिलियत के बलबूते अपने परिवार के साथ ही देश का नाम रोशन किया है.इन्ही में से एक हैं अहमदाबाद के  जसप्रीत बुमराह जिन्होंने बहुत ही कम समय में तेज गेंदबाज का ताज हासिल कर लिया।

जसप्रीत बुमराह का जन्म अहमदाबाद में हुए था,  उन्हें बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। उनके दोस्तों को जहां बैटिंग करना अच्छा लगता था, वहीं बुमराह को गेंदबाज़ी करना बेहद ही पसंद करते थे। महज़ 7 साल की उम्र में उनके सिर से पिता का साया उठा गया, जिसके बाद  बुमराह की मां ने अपने दोनों बच्चों की परवरिश की। पिता की मौत के बाद घर की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई थी, उनकी मां जैसे तैसे करके अपने परिवार का खर्च चला रही थी। लेकिन बुमराह का अभी भी गेंदबाज़ी के प्रति लगाव कम नहीं हुआ था।


बुमराह की मां एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं और जसप्रीत भी उसी स्कूल में पढ़ते थे। स्कूल से घर आने के बाद बुमराह  दीवार पर ही गेंदबाज़ी करना शुरू कर देते थे, जिसकी वजह से मां की डांट भी सुननी पड़ती थी। उनकी मां तबियत खराब हो जाने की डर से बुमराह को बाहर खेलने जाने की इज़्ज़ाजत
नहीं देती थी। पिता के गुज़र जाने के बाद बुमराह के पास जूते खरीदने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे,जिसकी वजह से वो एक ही कपड़े और जूते रोज़ाना साफ़ करके पहनते थे,लेकिन ऐसे हालात में भी उन्होंने अपने सपने को टूटने नहीं दिया, बल्कि कठोर परिश्रम के बल पर वो आगे की तरफ बढ़ते चले गए। क्योंकि उन्हें अपनी काबिलियत पर भरोसा था, एक न एक दिन उनका भी वक़्त आएगा जब वो करोड़ों फैंस के दिलों पर राज़ करेंगे।

 
बुमराह की मां नहीं चाहती थी कि उनका बेटा क्रिकेट की दुनिया में कदम रखें, उनकी मां ने क्रिकेट में बढ़ती चुनौतियों के बारे में उन्हें समझाया और पहले तो साफ़ मना कर दिया। लेकिन बुमराह ने अपनी मां को बड़े ही प्यार से समझाया कि उन्हें क्रिकेट में काफी ज्यादा लगाव है और इसके बिना उनकी जिंदगी अधूरी है.फिर काफी मनाने के बाद उनकी मां ने उन्हें क्रिकेट खेलने की मंजूरी दे दी। इसके बाद जसप्रीत ने जी जान से पूरी मेहनत के साथ गेंदबाज़ी करना शुरू कर दिया। जिसके बाद उन्हें एमआरएफ पेस फाउंडेशन में ट्रेंनिंग करने का मौका मिला, यहां पर तेज गेंदबाजों को ट्रेन किया जाता है। इस ट्रेंनिंग के दौरान जसप्रीत ने दिन रात एक कर दिया और उनकी शानदार गेंदबाज़ी को देखते हुए  गुजरात के अंडर-19 टीम में खेलने का मौका मिला। उन्होंने अपने पहले मैच के दौरान 7 विकेट चटकाकर और उम्दा प्रदर्शन कर दर्शकों को हैरान कर दिया। उसी प्रदर्शन के बाद उन्हें  सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी खेलने का मौका मिला और इसी टूर्नामेंट के दौरान मुंबई इंडियंस के कोच जॉन राइट ने उन्हें गेंदबाजी करते हुए देखा।

बुमराह की काबिलियत और शानदार गेंदबाज़ी को देखते हुए कोच जॉन राइट ने आईपीएल में मुंबई इंडियंस में खिलाने का फैसला लिया। आईपीएल के अपने पहले मैच में ही बुमराह ने विराट कोहली का विकेट लेकर टीम में अपनी जगह सुनिश्चित कर ली। बुमराह को साल 2014 में दिलीप ट्रॅाफी के दौरान गंभीर चोट भी लग गई थी, इसके बाद उन्हें अपने घुटने की सर्जरी भी करानी पड़ी थी। वो दिन बुमराह के लिए काफी कठिनाईयों से भरा रहा था, उन्हें लगा शायद वो कभी गेंदबाज़ी नहीं कर पाएंगे।  लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी, इलाज़ के कुछ समय बाद उन्होंने कड़ी मेहनत से एक बार फिर मैदान पर वापसी की और  
देश का नाम रोशन किया। आज उनका नाम एक करोड़पति क्रिकेटर में शुमार है।

जसप्रीत बुमराह की संघर्ष भरी कहानी युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं, क्योंकि जिस तरह बचपन में अपने पिता को खोने के बाद उन्होंने खुद को संभाला और एक ही कपडे को रोज़ाना पहनकर गेंदबाज़ी का अभ्यास करते, वो हर किसी के लिए संभव नहीं। आज बुमराह की गेंदबाजी से अच्छे-अच्छे बल्लेबाज थर-थर कांपते हैं और उनकी गेंदबाजी से बचने की कोशिश करते हैं।






 

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