साल 2017 में दूसरे प्रयास में 16वीं रैंक के साथ सफलता पाने वाली शिखा सुरेन्द्रन ने शेयर की अपनी प्रिपरेशन स्ट्रेटजी.
केरल की शिखा जब यूपीएससी की प्रिपरेशन के बारे में बात करती हैं तो चीजों को इतना सरल बना देती हैं कि आपको लगेगा कोई भी इस परीक्षा को पास कर सकता है. हालांकि इससे उनकी मेहनत कम नहीं हो जाती पर दूसरे कैंडिडेट्स से इतर शिखा की बातें कम से कम हिम्मत जगाती हैं कि प्रयास सच्ची और सही दिशा में तो कोई भी इस परीक्षा में सफल हो सकता है. शिखा कहती हैं उनके पिताजी का सपना था कि वे इस क्षेत्र में जाएं पर उन्होंने कभी शिखा को इसके लिए फोर्स नहीं किया. हालांकि समय बीतने के साथ पिताजी का सपना कब शिखा का भी सपना बन गया उन्हें पता भी नहीं चला. बचपन में वे नहीं जानती थी कि डीएम या कलेक्टर कौन होता है पर बड़े होकर जब उन्हें इस क्षेत्र की डाइवर्सिटी और प्रेस्टीज के बारे में पता चला तो उन्होंने तय किया कि वे इस क्षेत्र में ही कैरियर बनाएंगी. चूंकि यूपीएससी परीक्षा का नेचर बहुत ही अनप्रिडिक्टेबल है, इसलिए पहले उन्होंने बीटेक करके अपने आप को एक सेफ स्थान पर ले जाकर खड़ा किया उसके बाद सिविल सेवा की तैयारी शुरू की.
शुरुआत में की कोचिंग –
शिखा ने अपनी तैयारी की शुरुआत में कुछ दिन दिल्ली में रहकर कोचिंग ली. इसके बाद वे सेल्फ स्टडी पर निर्भर हो गईं. कोचिंग के बारे में शिखा
कहती हैं कि यहां से तीन बातों का पता चलता है कि क्या पढ़ना है, क्या नहीं पढ़ना है और कैसे पढ़ना है. कुल मिलाकर कोचिंग से आप गाइडेंस ले सकते हैं लेकिन पढ़ाई आपको खुद ही करनी होती है जिसके लिए सेल्फ स्टडी बेस्ट है. वे कहती हैं मैंने कुछ महीने कोचिंग करके परीक्षा का नेचर समझकर फिर सेल्फ स्टडी की, जिसके लिए वे अपने घर केरल आ गईं थी. आगे की तैयारी उन्होंने यहीं रहकर की. शिखा कहती हैं उन्हें चार महीने यूपीएससी का सिलेबस क्या है, कैसे पढ़ाई करनी है, कैसे नहीं करनी है आदि ठीक से समझने में लग गए थे. पहले प्रयास में उनका प्री में भी नहीं हुआ था. दूसरे प्रयास में न केवल उनका चयन हुआ बल्कि टॉपर्स की सूची में नाम भी शुमार हुआ.
लिमिटेड रिसोर्स और रिपिटेड रिवीजन –
शिखा कहती हैं कि तैयारी के लिए स्ट्रेटजी बनाते समय किसी की कॉपी नहीं कर सकते पर मोटे तौर पर एक दिशा पा सकते हैं. हर किसी का आईक्यू लेवल फर्क होता है जिसके अनुसार ही उन्हें तैयारी करनी चाहिए. किसी को कोई विषय पांच मिनट में समझ आ जाता है तो किसी को उसी में तीस मिनट लगते हैं. इस हिसाब से अपना टाइम-टेबल बनाएं. शिखा कहती हैं उन्होंने कभी भी दिन में चार से पांच घंटे से ज्यादा पढ़ाई नहीं की. पहले अटेम्पट में उनकी सबसे बड़ी गलती रही रिवीजन न करना. इससे वे पढ़ा हुआ भूल गईं. शिखा दूसरे कैंडिडेट्स को भी यही सलाह देती हैं कि अपनी किताबें यानी रिसोर्स लिमिटेड रखें पर बार-बार उन्हें रिवाइज करें. इसी तरह लिखने की भी खूब प्रैक्टिस करें. रोज कम से कम दो आंसर लिखें, इससे आपका अभ्यास होगा. एंड में मॉक टेस्ट दें ताकि अपनी कमियां भी पता चल सकें और पेपर हल करने की स्पीड भी बढ़ सके.
ऑनलाइन टेस्ट सीरीज में कराया था इनरोल –
शिखा कहती हैं एक बार जब उनका कोर्स खत्म हो गया तो उन्होंने खुद को ऑनलाइन टेस्ट सीरीज में इनरोल कराया था. इसके बाद उन्होंने खूब टेस्ट दिए ताकि अपनी कमियां समय रहते दूर कर सकें. वे कहती हैं कई बार उत्तर आने के बाद भी हम उसे लिख नहीं पाते क्योंकि हमारी प्रैक्टिस नहीं होती. हम या तो थक जाते हैं या पेपर छोड़ते हैं. इसके लिए जरूरी है कि रोज लिखने की प्रैक्टिस करें. बात साक्षात्कार की करें तो शिखा ने इसके लिए भी मॉक इंटरव्यू दिए ताकी उनके अंदर से इंटरव्यू का डर निकल जाए और कांफिडेंस आ जाए. अंत में शिखा अपने माता-पिता और शिक्षकों की ब्लेसिंग्स को अपनी सफलता के पीछे का कारण मानती हैं. वे कहती हैं कि सही दिशा में ईमानदारी से प्रयास करने से कोई भी इस परीक्षा में सफल हो सकता है.
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